विधा - कविता
दिनांक - 20-01-20
है जीवन अपना तभी सुखारत
जो काम किसी के आ जाओगे
खाली हाथ आए इस जग में
खाली हाथ ही जग से जाओगे
आने-जाने के बीच में हमको
जो भी समय उधार मिला
सत्कर्मों में उसको हम लगाएँ
इससे ही पुण्यों का फूल खिला
स्वरचित एवं अप्रकाशित
दीपाली पंत तिवारी ' दिशा'
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