(1)
शीर्षक- महत्व
महेश सुबह से घर के कामों में सर खपा रहा था लेकिन अभी तक कुछ भी नहीं कर पाया। आज वो समझा कि स्त्रियाँ सारा दिन घर पर करती क्या हैं?
(2)
शीर्षक- गूँज
सुनैना उठी और पहली बार जवाब में पति नरेश के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया जो उसकी कल्पना से परे था। इस थप्पड़ की गूँज, अब वो कभी नहीं भूल पाएगा।
(3)
शीर्षक- किलकारियाँ
निहाल ने खुशी के मारे मनीषा को गोद में उठा लिया। वर्षों बाद उनके आँगन में किलकारियाँ गूँजने वाली थीं। आज तो बस उन दोनों के कानों को, आने वाली सन्तान की किलकारियाँ ही सुनाई दे रही थीं।
(4)
शीर्षक - मुस्कान
वो बच्चा अधीरता से कुछ खोज रहा था और तभी उसके चेहरे पर विजयी मुस्कान तैर गयी। सूखी रोटी के लिए उसकी आँखों की चमक देखने लायक थी।
(5)
*शीर्षक - उतरन*
उत्सव में रमिया को अपनी दी हुई उतरन(साड़ी) पहन इठलाते देखकर रेखा की आँखें भर आईं।
(6)
शीर्षक - नववर्ष
मुस्कराता चेहरा, आँखों में आशाओं की चमक और बातें, आसमान छूने की। 'रोशनी' जिसका हर दिन, हर पल एक पर्व है। लोग कहते हैं कि उसकी ज़िंदगी के थोड़े ही दिन बचे हैं। हो सकता है कि यह रोशनी के जीवन का आखिरी नववर्ष हो।लेकिन ज़िंदगी का क़द उसकी लंबाई से नहीं उसे पूरी तरह जीने से बड़ा होता है।
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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