वो बरसात की एक रात जूली कभी नहीं भूल पाई। आखिर कैसे भूलती वो , उस रात ने उसकी मिलन की बेला को जीवन भर की जुदाई में बदल दिया था। जूली किसी तरह चुपके-चुपके अर्जुन से मिलने पहुँची थी लेकिन उसके मोहल्ले के एक लोफर ने उसके रास्ते में दीवार खड़ी कर दी यानि उसके घरवालों को बता दिया और अर्जुन से मिलने का यह आखिरी रास्ता भी बंद हो गया। एक लोफर की दिल्लगी ने अपने इन्तेक़ाम के लिए दो प्यार भरे दिलों को हमेशा के लिए जुदाई की आग में झोंक दिया था। अब भूली-बिसरी यादें ही जूली के जीवन का सहारा थीं।
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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