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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

कुछ किस्से गढ़ते हैं

 दिनांक - 24.03.2020


आओ हम सब मिलकर, कुछ किस्से गढ़ते हैं

भूली बिसरी यादों के, फिर चर्चे करते हैं

बचपन की गलियों में, चलो दौड़ लगाकर आएँ

घर बैठे-बैठे ही परियों के, सपने बुनते हैं


कुछ बातें हो ऐसी, जिनमें बारिश का चर्चा हो

खयाली पुलाव पकाएँ ऐसा, जिसमें न कोई खर्चा हो

छोटी-छोटी खुशियों का, आओ अंबार लगा लें

उन लम्हों को हम जी लें, जिनको मन तरसा हो


बच्चों के संग मिलकर, कागज़ की नाव बनाना

कुछ उनके किस्से सुनना, कुछ अपनी कहानी सुनाना

ऐसी फ़ुर्सत के पल, कहो फिर कब मिलेंगे

सजाओ महफिल अपनो संग, गाओ खुशियों का तराना


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

बंगलुरु (कर्नाटक)

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