मन के बंद दरवाजों पर
आज फिर दस्तक हुई है
गम की अंधेरी रात बीती
खुशियों की सुबह हुई है
जहाँ शब्द मौन हुए थे
वहाँ अब हलचल हुई है
नाउम्मीदी का डेरा हटा
एक नई पहल हुई है
आज फिर दस्तक हुई है
गम की अंधेरी रात बीती
खुशियों की सुबह हुई है
जहाँ शब्द मौन हुए थे
वहाँ अब हलचल हुई है
नाउम्मीदी का डेरा हटा
एक नई पहल हुई है