बलिष्ठ शरीर और कुशाग्र बुद्धि
तन-मन में भरी गज़ब फुर्ती
हम युवा हैं, दम-खम रखते हैं
अंगारों पर भी चल सकते हैं
कोई अर्जुन के जैसा लक्ष्यभेदी
कोई कृष्ण जिसने गीता कह दी
हम युवा हैं, दम-खम रखते हैं
सीने पर गोली चखते हैं
धरती-अम्बर हो या पाताल
सेहरा-सागर या पर्वत विशाल
हम युवा हैं, दम-खम रखते हैं
नामुमकिन को मुमकिन करते हैं
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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