विषय - बचपन की यादें
दिनांक - 26.03.2020
खोली फुर्सत के लम्हों में मैंने, बचपन वाली खिड़की
यादों के झोंकों संग आयी, वो अल्हड़ नटखट लड़की
छन छन पायल झनकाती जो, आँगन में फिरती थी
लटक-मटक कर, अटक-अटक कर, चलती फिर गिरती थी
उसकी मासूम अदाओं से, सबका चेहरा खिलता था
तुतलाती बानी के बल से, कोना-कोना चहकता था
कागज़ की कश्ती लेकर वो, बारिश ढूँढा करती है
बचपन वाली लड़की फिर से, मेरे अंदर जी उठती है
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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