दिनांक - 18-01-2020 शनिवार
विधा - कविता मुक्तक
तेरी मेरी यह प्रीत पुरानी
जैसे बहते दरिया का पानी
कितने ही मौसम बीत गए
आज भी एकदम नई कहानी
किस्मत का चमका है तारा
बना रहे यह रिश्ता प्यारा
खुली आँखों से देखूँ सपने
जन्म-जन्म का साथ हमारा
स्वरचित एवं अप्रकाशित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
बंगलुरु
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