दिनांक - 09-08-2019
उमड़-घुमड़ कर बदरा छाए
सावन ऋतु का संदेशा लाए
गर्मी का मौसम अब बीता
बरस-बरस यह सबको बताए
भीगा तन है भीगा मन है
महका-महका वन-उपवन है
तपता सूरज शांत हुआ यूं
जैसे शीतल जल-चंदन है
कागज़ की नावों का मौसम
याद दिला दे सबका बचपन
झूम-झूम सब नाचें गाएँ
तोड़ के सारे उम्र के बंधन
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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