यह गाथा है, उन वीरों की
कारगिल के, अमर शहीदों की
जो प्राण न्योछावर कर आए
दुश्मन भी उनसे थर-थर्राए
है कथा सन् निन्यानबे की
महीना था मई और जुलाई
एक चरवाहे ने जब देखा
शत्रु की सेना घर आई
कर पार नियंत्रण रेखा को
भारत में सेंध लगाने आए
कारगिल की ऊँची चोटी पर
बैठ गए वो कब्ज़ा जमाए
हिन्द की सेना हुई सतर्क
जल्दी पता किए सारे ठिकाने
निकल पड़ी लेकर विजय-रथ
पहुँची दुश्मन को सबक सिखाने
मिग-सत्ताईस और मिग-उनतीस
तोप, रॉकेट, मिसाइल और मोर्टार
दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए
करे उनपे ऐसे वार-प्रहार
मिलकर हिन्द की सेना ने
जब ऑपरेशन विजय चलाया
मातृभूमि के सभी शत्रुओं को
फिर सीमा के पार भगाया
है नमन भारतीय वीरों को
इस जन्मभूमि के हीरों को
भारत का मान बढ़ाया
ऊँचे आसमान में अपना तिरंगा लहराया
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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