गुरुवार, 15 जुलाई 2021

जीवन

 विधा - कविता

दिनांक - 20-01-20


है जीवन अपना तभी सुखारत

जो काम किसी के आ जाओगे

खाली हाथ आए इस जग में

खाली हाथ ही जग से जाओगे


आने-जाने के बीच में हमको

जो भी समय उधार मिला

सत्कर्मों में उसको हम लगाएँ

इससे ही पुण्यों का फूल खिला



स्वरचित एवं अप्रकाशित

दीपाली पंत तिवारी ' दिशा'

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