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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

विषय - साहित्य और समालोचना


दिनांक - 29-01-20

विधा - मुक्तक


गद्य-पद्य का अनोखा रूप

कल्पनाओं का अदभुत स्वरूप

साहित्य अभिव्यक्ति का सागर है

बारिश में भी जैसे खिली धूप


उथला नहीं यह गहरा है

जो डूबा है वह तैरा है

साहित्य सम्भावनाओं का स्वर

यह ज्ञान का नवीन सवेरा है


कृतियों का होता  गहन अध्ययन

पक्ष-विपक्ष विचारों का मंथन

समालोचना साहित्य की कसौटी है

जो बढ़ाती है उत्तम सृजन


दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

बंगलुरू ( कर्नाटक)

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