कहते हैं जो होता है वो अच्छे के लिए होता है
सबके पीछे ईश्वर का कोई संकेत छिपा रहता है
करोना वैश्विक महामारी के इस दौर ने भी हमको
अपने अंतर्मन को टटोलने का एक मौका दिया है
सोचो और करो गहन मंथन कि क्या किया जाए
आने वाले परिवेश में कैसा बदलाव लाया जाए
क्या इसी तरह यूँ ही स्वार्थों में लिप्त रहें हम सब
या फिर जिम्मेदारी उठा अपने कर्तव्यों को निभाया जाए
अपने घोंसलों को और सुरक्षित करें वहीं सहारा मिलेगा
प्रकृति से खिलवाड़ न करें, कहीं नहीं किनारा मिलेगा
रिश्तों को अपने प्यार और विश्वास से खूब सींचे,
जुड़े अपनी जड़ों से, यह गुलशन फिर से आबाद होगा
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
बंगलुरू (कर्नाटक)
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