(1)
शीर्षक - चाय के किस्से
चाय के कुछ अपने किस्से हैं
कॉफ़ी की कुछ अपनी कहानी है
कितना भी सुपर कहो कॉफ़ी को
चाय तो हमारे दिल की रानी है
(2)
शीर्षक - चाय के बहाने
चाय के बहाने आते हैं याद अक्सर वो गुजरे जमाने
वो सर्दी की गुनगुनी धूप
गजक, मूँगफली और गरम-गरम सूप
स्वरचित
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
बंगलुरू (कर्नाटक)
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