शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

चाय


 

(1)

शीर्षक - चाय के किस्से


चाय के कुछ अपने किस्से हैं

कॉफ़ी की कुछ अपनी कहानी है

कितना भी सुपर कहो कॉफ़ी को

चाय तो हमारे दिल की रानी है


(2)


शीर्षक - चाय के बहाने


चाय के बहाने आते हैं याद अक्सर वो गुजरे जमाने

वो सर्दी की गुनगुनी धूप

गजक, मूँगफली और गरम-गरम सूप



स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

बंगलुरू (कर्नाटक)

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें