शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

मंथन


कहते हैं जो होता है वो अच्छे के लिए होता है

सबके पीछे ईश्वर का कोई संकेत छिपा रहता है

करोना  वैश्विक महामारी के इस दौर ने भी हमको

अपने अंतर्मन को टटोलने का एक मौका दिया है


सोचो और करो गहन मंथन कि क्या किया जाए

आने वाले परिवेश में कैसा बदलाव लाया जाए

क्या इसी तरह यूँ ही स्वार्थों में लिप्त रहें हम सब

या फिर जिम्मेदारी उठा अपने कर्तव्यों को निभाया जाए


अपने घोंसलों को और सुरक्षित करें वहीं सहारा मिलेगा

प्रकृति से खिलवाड़ न करें, कहीं नहीं किनारा मिलेगा

रिश्तों को अपने प्यार और विश्वास से खूब सींचे, 

जुड़े अपनी जड़ों से, यह  गुलशन फिर से आबाद होगा


स्वरचित 

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

बंगलुरू (कर्नाटक)

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