हाँ - हाँ राजा, मैंने सब सुना राजा
किन्तु है मेरा मत तुमसे भिन्न
प्रजा कब है ,राजा से अभिन्न
यह समय नहीं है विवाद का
अब प्रश्न नहीं उन्माद का
जब शत्रु करे छिपकर प्रहार
न करे कोई सन्धि स्वीकार
कहो कब तक हों नतमस्तक राजा
सुनो राजा! सुनो राजा!
शांति प्रस्ताव भेजे जितने
शत्रु ने वार किए उतने
खून बहाया जिन वीरों का
मैं हूँ कर्जदार उन शहीदों का
एक हाथ कभी ताली न बजती
अति चुप्पी भी कायरता होती
कहो कब तक न करें प्रहार राजा
सुनो राजा! सुनो राजा!
दीपाली पन्त तिवारी 'दिशा'
किन्तु है मेरा मत तुमसे भिन्न
प्रजा कब है ,राजा से अभिन्न
यह समय नहीं है विवाद का
अब प्रश्न नहीं उन्माद का
जब शत्रु करे छिपकर प्रहार
न करे कोई सन्धि स्वीकार
कहो कब तक हों नतमस्तक राजा
सुनो राजा! सुनो राजा!
शांति प्रस्ताव भेजे जितने
शत्रु ने वार किए उतने
खून बहाया जिन वीरों का
मैं हूँ कर्जदार उन शहीदों का
एक हाथ कभी ताली न बजती
अति चुप्पी भी कायरता होती
कहो कब तक न करें प्रहार राजा
सुनो राजा! सुनो राजा!
दीपाली पन्त तिवारी 'दिशा'
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन विश्व नींद दिवस और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
जवाब देंहटाएंसुंदर!
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