LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Click here for Myspace Layouts

ब्लॉग भविष्यफल

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Widget by LinkWithin

शनिवार, 5 सितंबर 2009

सच कहा गया है कि कल्पना की उडान को कोई नहीं रोक सकता

सच कहा गया है कि कल्पना की उडान को कोई नहीं रोक सकता। कल्पनाएँ इंसान को सारे जहान की सैर करा देती हैं. ये इंसान की कल्पना ही तो है की वो धरती को माँ कहता है, तो कभी चाँद को नारी सोंदर्य का प्रतीक बना देता है. आसमान को खेल का मैदान, तो तारों को खिलाड़ियों की संज्ञा दे देता है. तभी तो कहते है कल्पना और साहित्य का गहरा सम्बन्ध है. जिस व्यक्ति की सोच साहित्यिक हो वो कहीं भी कोई भी काम करे, पर उसकी रचनात्मकता उसे बार-बार साहित्य के क्षेत्र की और मोड़ने की कोशिश करती है. गुलशन बावरा एक ऐसा ही व्यक्तित्व है जो अपनी साहित्यिक सोच के कारण ही फिल्म संगीत से जुड़े. हालांकि पहले वो रेलवे में कार्यरत थे, लेकिन उनकी कल्पना कि उड़ान ने उन्हें फिल्म उद्योग के आसमान पर स्थापित कर दिया, जहाँ उनका योगदान ध्रुव तारे की तरह अटल और अविस्मर्णीय है. आगे पढिये मेरी कलम हिन्दयुग्म पर आवाज में रविवार सुबह की कॉफी और कुछ दुर्लभ गीत

5 टिप्‍पणियां:

  1. और कल्‍पना जब यथार्थ में परिणत हो जाए तो कहना ही क्‍या .. लिंक पर जा रही हूं !!

    जवाब देंहटाएं
  2. दिशा जी बिलकुल सही कहा कल्पना का ना कोई अन्त है ना आदि कहीं से भी कभी भा काहीं भी चली आती हैं शुभकामनायें अब जरा काफी का आनन्द भी ले लें

    जवाब देंहटाएं
  3. कल्पना की को हद नहीं..सही फरमाया आपने

    जवाब देंहटाएं