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शनिवार, 5 सितंबर 2009

शिक्षक

शिक्षक
गैर होकर भी अपना सा
लगे कोई मित्र सा
मुश्किल कोई भी हो खड़ी
ढूंढकर दे हल उसका
डाँटता है जो कभी
अच्छाई उसमें भी छिपी
हारकर जो बैठे हम
देता है वो होंसला
ज्ञान देता है हमें
मार्गदर्शक भी बने
बनके दिया वो जलता है
करता दूर अज्ञानता

2 टिप्‍पणियां:

  1. बिल्कुल सही है ......शिक्षक ऐसा ही होता है नमन है मेरा .......इस सुन्दर रचना को

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  2. होना तो यही चाहिए - सार्थक रचना

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