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पिता
एक ऐसा किरदार
जो दे जीवन को आधार
करता है भरण-पोषण
उठाये कन्धो पर हमारा भार
एक ऐसा किरदार
जो दे जीवन को आधार
करता है भरण-पोषण
उठाये कन्धो पर हमारा भार
पिता
एक ऐसा व्यक्तित्व
जो दिखता है सख्त
किन्तु है कोमल ह्रदय
जीवन के पग-पग पर
हमको दिलाता विजय
पिता
एक नाम जो जरूरी है
यही हमारी पह्चान की धुरी है
यूँ तो जन्म देती है माँ
पर वो भी इस नाम के बिना अधूरी है
पिता
एक अटूट हिस्सा जीवन का
साथी हमारे बालपन का
मेला हो या हो भारी भीड़
दिखाये हमें दुनिया की तस्वीर
पिता
जिसके कांधों पर चढ़ इतराते हम
कभी घोड़ा बना उसे इठ्लाते हम
बनकर बच्चा हमारे साथ
मिलाता वो कदम से कदम
--दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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