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गुरुवार, 11 जून 2009

लुटेरे बाहर नहीं अन्दर हैं

रघुनाथ मंदिर एक ऐसा धर्म स्थल जो बहुत प्रसिद्ध है. वैष्णो धाम से लौटते हुए हजारों श्रद्धालु जम्मू स्थित इस स्थल पर प्रभु दर्शन के लिये अवश्य आते हैं. रघुनाथ मंदिर की प्रसिद्धता को देखते हुए और आतंकी हमले के बाद यहां चौकसी बढा़ दी गयी है.दरवाजे पर ही पुलिस चौकी है जो सभी आने जाने वालों की तलाशी लेती है ताकि कोइ लूटेरा या आतंकी मंदिर में प्रवेश न कर सके. लेकिन वे यह नही जानते कि असली लूटेरे तो मंदिर के भीतर ही हैं.
अब आप सोचेंगे कि मैं किन लूटेरों कि बात कर रही हूं. आजकल पुजारी किसी लूटेरे से कम हैं क्या? यहां मंदिर में प्रवेश करने के बाद पुजारी पाँच सौ तथा हजार के नोट दिखाकर आपको जताते हैं कि आप भी इसी तरह की दक्षिणा उनकी थाली में रखें,यदि आप ऐसा नही करते तो वो आपको खरी-खोटी सुनाने से और तिरस्कृत करने से भी चुकेंगे.इस मंदिर के प्रांगण में कई अन्य मंदिर भी हैं. अत: लूट्ने का ये सिलसिला हर मंदिर में होता है.
कहा जाता है कि "जाकी रही भावना जैसी ,प्रभु मूरत तिन देखी तैसी".अर्थात जिसकी जो भावना हो उसे वैसा ही दिखाई देता है. जहां श्रद्धालुओं के लिये पत्थर की मूरत साक्षात प्रभु हैं ,वहीं पुजारियों के लिये केवल लूटने का एक जरिया है.

2 टिप्‍पणियां:

  1. दिशा जी,
    पिछले वर्ष मैं जगन्नाथ मंदिर पूरी गयी थी वहां हर कदम पर लूट है जब मैं कह रही हूँ 'हर कदम' तो बस आप उसे 'हर कदम' ही समझें बिना पैसा नहीं नोट दिए हुए आप हिल भी नहीं सकते हैं......जो हालत है वहाँ , भगवान् जगन्नाथ तो कब के भाग गए होंगे वहाँ से क्योंकि इतना अनाचार जब हम नहीं देख आये तो भगवान् क्या देखेंगे...
    बहुत अच्छा लेख लिखा है आपने जिसे पढ़ते ही आँखों के आगे वो सबकुछ घूम गया जो हम पिछले वर्ष भातर यात्रा में भुगत आये हैं...
    धन्यवाद ...

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  2. ठीक कहा है अधिकांश धार्मिक (!!) स्थलो की यही कहानी है.

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