हिंदुस्तान का नक्श कुछ ऐसा है कि,कहीं भी जाओ खूबसूरती मिल ही जाती है.सच में हमारा भारतवर्ष खूबसूरत इबारतों और इमारतों से भरा हुआ है. चाहे ताजमहल हो या फिर कुतुबमीनार,लालकिला हो या फतहपुरसींकरी का बुलंद दरवाजा,देश के कोने-कोने में खूबसूरत और मनोरंजक स्थलों की कमी नही है. इन्हीं मंजरों के बीच मैं जि़क्र करने जा रही हूँ जम्मू स्थित बाग-ए-बाहु (बाहु का किला) का ,जो अपनी खूबसूरती से शहर के साथ-साथ ,आने-जाने वाले पर्यटकों को भी लुभाता है.
बाहु का किला जम्मू की सबसे पुरानी इमारत है.यह शहर के मध्य भाग से ५ किलोमीटर दूर तवी नदी के बांये किनारे स्थित है. कहते है कि यह किला ३००० वर्ष पूर्व राजा बाहूलोचन ने बनवाया था. लेकिन बाद में डोंगरा शासकों ने इसका नवनिर्माण तथा विस्तार किया. खूबसूरत झरनों,हरे-भरे बाग तथा फूलों से भरे हुए इस किले की शोभा देखते ही बनती है.ऐसा लगता है जैसे कि इससे खूबसूरत जगह पहले कहीं ना देखी हो.बाहु के किले को महाकाली के मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर किले के अंदर ही है तथा भावे वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है. सन १८२२ में महाराजा गुलाबसिंह के राजा बनने के तुरंत बाद बनाया गया था. इस मंदिर की महत्ता वैष्णो देवी मंदिर के बाद दूसरे नंबर पर है.बल्कि यह काली माता का मंदिर भारत के प्रसिद्ध काली मंदिरों में से एक है
किले के अंदर दूर तक फ़ैला हुआ खूबसूरत बाग है इसे ही लोग बाग-ए-बाहु नाम से जानते है.इस बाग कि संरचना और प्राकृतिक सुंदरता इतनी अनोखी है कि मन मयूर नृत्य करने लगता है.तरह-तरह के फव्वारे, सीढ़ीनुमा संरचना इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है.प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत यहां का माहौल आपको मुग्ध कर देता है और यहां से जाने का मन ही नही करता. यहां का जादुई वातावरण हजारों लोगों को आकर्षित करता है. इसलिये यह एक पिकनिक स्पाट भी बन गया है.आप चाहें पिकनिक के लिये आयें या फिर एक बार देखने के लिये, इस बाग की खूबसूरती से आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकेंगे.
बाहु का किला जम्मू की सबसे पुरानी इमारत है.यह शहर के मध्य भाग से ५ किलोमीटर दूर तवी नदी के बांये किनारे स्थित है. कहते है कि यह किला ३००० वर्ष पूर्व राजा बाहूलोचन ने बनवाया था. लेकिन बाद में डोंगरा शासकों ने इसका नवनिर्माण तथा विस्तार किया. खूबसूरत झरनों,हरे-भरे बाग तथा फूलों से भरे हुए इस किले की शोभा देखते ही बनती है.ऐसा लगता है जैसे कि इससे खूबसूरत जगह पहले कहीं ना देखी हो.बाहु के किले को महाकाली के मंदिर के नाम से जाना जाता है. यह मंदिर किले के अंदर ही है तथा भावे वाली माता के नाम से प्रसिद्ध है. सन १८२२ में महाराजा गुलाबसिंह के राजा बनने के तुरंत बाद बनाया गया था. इस मंदिर की महत्ता वैष्णो देवी मंदिर के बाद दूसरे नंबर पर है.बल्कि यह काली माता का मंदिर भारत के प्रसिद्ध काली मंदिरों में से एक है
किले के अंदर दूर तक फ़ैला हुआ खूबसूरत बाग है इसे ही लोग बाग-ए-बाहु नाम से जानते है.इस बाग कि संरचना और प्राकृतिक सुंदरता इतनी अनोखी है कि मन मयूर नृत्य करने लगता है.तरह-तरह के फव्वारे, सीढ़ीनुमा संरचना इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगा देती है.प्राकृतिक सुंदरता से ओत-प्रोत यहां का माहौल आपको मुग्ध कर देता है और यहां से जाने का मन ही नही करता. यहां का जादुई वातावरण हजारों लोगों को आकर्षित करता है. इसलिये यह एक पिकनिक स्पाट भी बन गया है.आप चाहें पिकनिक के लिये आयें या फिर एक बार देखने के लिये, इस बाग की खूबसूरती से आकर्षित हुए बिना नहीं रह सकेंगे.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें