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शनिवार, 27 जुलाई 2019

जन्मदिन

उम्र की शाख पर खिलते हैं
जन्मदिन के फूल हर साल
झड़ जाता एक साल शाख से
वहीं जुड़ जाती है एक याद
आँखों के आगे से गुजरता बचपन
फिर पंख लगाकर यूं उड़ता यौवन
चलचित्र की भांति गुज़रता हर लम्हा
जैसे जी रहे हों कोई सपना
जन्मदिन की रौनक
दिलाती है यह एहसास
उम्र का कोई भी पड़ाव हो
हम हरदम रहेंगे ख़ास





बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार (बारिश)


है कौन तुमको रोकता?
है कौन तुमको टोकता?
खोल दो तुम अपने द्वार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार

तपती धरती, तपते वन हैं
आग उगलती ये पवन है
पंछियों की सुन लो पुकार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार

हुए सूने उपवन, सूनी गलियाँ
गए सूख पनघट, सूखी नदियाँ
भेजो बारिश की रिमझिम फुहार
बरसो हे मेघ! गाओ मल्हार


तुम्हारा जाना

अभी तक तो तुम
अटकते थे बोलने से दो बोल
लेकिन अब अविराम झरते हैं
तुम्हारे मुख से शब्दों के फूल

अभी तक तो तुम
लड़खड़ाते थे, गिर पड़ते थे
लेकिन अब सध गए हैं
तुम्हारे नन्हे कदम

अभी तक तो तुम
डरते थे छोड़कर जाने से मेरा आँचल
लेकिन अब तुमने सीख लिया
बाहर की दुनिया से ताल मिलाना

आत्मविश्वास से भरा
यह तुम्हारा किरदार
तैयार है अब, इस दुनिया के लिए
हे नन्हे फरिश्ते
एक सुखद एहसास है, तुम्हारा जाना
जाओ इस घरोंदे से बाहर
अपनी एक पहचान बनाना।