प्यासी धरती करे पुकार
सुन लो हे जग के करतार
सूख गयी है मेरी कोख़
तन पे ना गिरी जरा भी ओस
कौन बुझाये मेरी प्यास
प्यासी धरती करे पुकार
सुन लो हे जग के करतार
सूख गयी है मेरी कोख़
तन पे ना गिरी जरा भी ओस
कौन बुझाये मेरी प्यास
प्यासी धरती करे पुकार
कुआँ , पोखर और तालाब
जोहते हैं बारिश की बाट
कहीं नहीं पानी की बूँदे
बाँध और नदिया तट सूने
कुछ तो करो विचार
प्यासी धरती करे पुकार
जोहते हैं बारिश की बाट
कहीं नहीं पानी की बूँदे
बाँध और नदिया तट सूने
कुछ तो करो विचार
प्यासी धरती करे पुकार
Bahut hi sarthak soch...
जवाब देंहटाएंbahut acche vichar liye hue ek acchi rachna
badhai ho aapko