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सोमवार, 15 जून 2009

चेहरे के पीछे का सच

कहते हैं कि "दिल सच्चा और चेहरा झूठा,इस चेहरे ने लाखों को लूटा" यह कहावत आज चरित्रार्थ हो गयी है. जैसे ही मैने अखबार की हेड्लाइन पढ़ी कि "शाहिनी आहूजा द्वारा नौकरानी का बलात्कार"तो सहसा ही मेरे मुख से इसी गाने के बोल निकल पड़े. इस गीत के बोल कितने सटीक हैं. इंसान अपने खूबसूरत चेहरे के पीछे कितने नापाक़ मंसूबे छिपाये रहता है. फिल्मों में चरित्रवान किरदार निभाने वाले ये एक्टर कितने चरित्रहीन और वहशी हैं यह तो समय-समय पर सुर्खियों में रहता ही है, इसी दिशा में आज एक और कड़ी जुड़ गयी है.कभी-कभी लगता है कि स्त्रियाँ जायें तो जायें कहाँ ? हर जगह लोग मुखौटा लगाये रहते हैं. कहीं रिश्तेदारों का चेहरा है ,तो कहीं दोस्तों का. मालिक भी इस होड़ में पीछे नहीं हैं.

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