अधखिले होठों पर फैली हल्की सी मुस्कान
दे जाती है
आँखों में चमक और चेहरे पर रौनक
हाँ यह मुस्कान ही तो है
जो डाल दे पत्थर में भी प्राण
अधखिले होठों पर फैली हल्की सी मुस्कान
कभी सोये शिशु के अधरों
पर छलक जाती तो
कभी दो दिन से भूखे भिखारी को
मिलने वाली रोटी के संग
उसके चेहरे पर खिल जाती
अधखिले होठों पर फैली हल्की सी मुस्कान
जब प्यासे को मिले पानी और
डूबते को तिनके का सहारा
तब भी बरबस होठों से
ढलक जाती है ये मुस्कान
अधखिले होठों पर फैली हल्की सी मुस्कान
कोई बिछडा़ मिले बरसों बाद
या कोई बिखरा घरोंदा हो आबाद
फिर सजती है यह चेहरे पर
और छोड़ जाती है अपने निशान
अधखिले होठों पर फैली हल्की सी मुस्कान
Click here for Myspace Layouts
ब्लॉग भविष्यफल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें