LATEST:


विजेट आपके ब्लॉग पर

Click here for Myspace Layouts

ब्लॉग भविष्यफल

विजेट आपके ब्लॉग पर

Blog Widget by LinkWithin

सोमवार, 15 जून 2009

अगर विरोध ना करो तो कोइ नही सुनता

कभी-कभी लगता है जैसे हमारी शक्ल पर लिखा है कि हम बेवकूफ हैं.जो चाहे आये और हमें लूटकर ले जाये. इस बार तो मेरे सब्र का बाँध ही टूट गया था.ऐसा लग रहा था कि नोकिया केयर के आफिस में जायें और सारी चीजें तोड़्फोड़ दें ताकि उनहें भी तो पता लगे कि बेवकूफ बनने का एहसास क्या होता है.
जब मैने नोकिया केयर के ओफिस में अपना मोबाइल ठीक कराने के लिये दिया था तब मुझे बडा़ यकीन था कि कम्पनी का मोबाइल कम्पनी की दुकान में ठीक कराना सुरक्षित रहेगा।तब मैं इस बात को भूल गयी थी कि आज विश्वास की कोइ कीमत नहीं.यह बात बहुत ही जल्दी सिद्ध हो गयी क्योकि उन्होंने मोबाइल तो ठीक नही किया अपितु उसे पूर्णतया खराब कर मेरे हाथ में थमा दिया और ऊपर से तुर्रा ये कि आपने मोबाइल को किसी साधारण दुकान में रिपेयर कराया होगा.
बस फिर क्या था उस दिन के बाद से कस्टमर केयर को फोन करने और नोकिया केयर सेन्टर के चक्कर लगाने का सिलसिला शुरू हो गया।हमने भी इस बार ठान लिया था कि चाहे कुछ हो जाये ,छोड़ेंगे नही. हमारे द्वारा लगातार उनका सिर खाने और हल्ला करने पर उन्होंने स्वीकार किया कि मोबाइल उन्ही से खराब हुआ है. अतः अगले हफ्ते आप अपना मोबाइल सही हालत में ले जाइयेगा.
तो देखा आपने हर जगह चुप रहने से भी काम नही चलता.गलत बात का विरोध भी जरूरी है.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें