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गुरुवार, 22 अगस्त 2013

बरसाती मेढक













दोस्तों कुछ लोग होते हैं बड़े ही विचित्र
हर शुक्रवार को बदले सिनेमाहॉल में जैसे चलचित्र
इसी कारण तो सभी कहें इनको बरसाती मेढक
आते ही मुसीबतों की वर्षा करते दोस्तों संग बैठक
अक्सर ये सच्ची दोस्ती का राग अलापते हैं
इसी के नाम पर अपना काम निकालते हैं
रंग बदलना इनकी फितरत में शामिल है
सच पूछो ये इंसानियत के कातिल हैं
यही नहीं गिरगिट भी इन पर गुस्सा करता है
करते हो मुझे क्यों बदनाम  ऐसा अक्सर कहता है
इतने रंग तो मैंने भी नहीं बदले जितने तुम लोग बदलते हो
बरसात जाते ही गधे के सिर से सींग जैसे नदारद मिलते हो

रक्षाबंधन












इस धागे में बँधा है प्यार अपार
बहन की भाई के लिए दुआएँ हज़ार
अपनों के लिए सुरक्षा का विश्‍वास
हमेशा करीब बने रहने का अहसास

यह डोर सुदूर भी दिल के तारों को जोड़ देती है
हमारी ज़िन्दगी में दूरियों को पाट नित नए मोड़ देती है
खोल देती है भावनाओं के बंद द्‍वार
हटाए उपजी हुई द्‍वेष की खरपतवार