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अगर देखा जाये तो यह सब हमारी ही करनी का फल है. जिस तरह तेजी से वृक्षों का कटान हुआ है उसी के चलते ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना, मौसम में बदलाव आदि समस्याऐं खड़ी हुई हैं और नतीजन पानी की किल्लत बढ़ी है. पानी की बचत के लिये तरह-तरह के प्रचार किये जाते हैं पर हम में से कितने ऐसे हैं जो सही मायनों में पानी की बचत करते हैं. हमें तो सिर्फ अपने से मतलब है . हमारा काम हो जाये बस, बाकी किसी को कुछ मिले ना मिले हमें इससे क्या.