जब तुम स्वयं नहीं सिखाओगे
तो कोई और सिखा जाएगा
जब तुम खुद नहीं बताओगे
तो कोई और पाठ पढ़ाएगा
यही होता आया है और आगे भी यही होगा
तुम्हारे बच्चो का भविष्य
कोई और ही गढ़ेगा
तुम्हारे पास विकल्प था कि
तुम उन्हें अपनी संस्कृति का ज्ञान कराते
तुम्हारे पास समय था कि
तुम उन्हें अपनी जड़ों का भान कराते
लेकिन तुम अपनी सुविधा-असुविधा
के फेर में फँसे रहे
इधर मौकापरस्त लोग
इसका ही लाभ लेते रहे
आपके घर पहुँचकर , आपसे ही
आपकी पहचान करवा रहे हैं
आपके पूर्वज कौन हैं, क्या है?
ये भ्रम का जाल फैला रहे हैं
जागो, समझो, सोचो
क्यों ये हमारी संस्कृति के पीछे पड़े हैं
क्यों इसे तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं
वो अमृत में विष घोलना चाहते हैं
वो आप से आपका स्वाभिमान छीन लेना चाहते हैं
वो चाहते हैं कि आपके पास कुछ भी ऐसा न हो
जिस पर आप गर्व कर सकें
कोशिश है उनकी कि इतिहास के पन्नों से
मान हटाकर हीनता भर सकें
वो आदिपुरुष जैसे ही अनेक गाथाएँ सुनाएँगे
तुम्हारे आदर्शों की धज्जियाँ उड़ाएँगे
फिर कहेंगे हम तो तुम्हारा ही काम कर रहे हैं
नई पीढ़ी को इतिहास से जोड़ रहे हैं
अभी भी विकल्प है तुम्हारे पास
स्वयं जानो अपनी संस्कृति और इतिहास
सब-मिलकर बैठो, टटोलो वेद-पुराण को
जानो रामायण और गीता के ज्ञान को
पहचानो अपने कृष्ण और राम को
© स्वरचित
दीपाली 'दिशा'