कहते हैं कि पृथ्वी का ही नहीं, हमारे शरीर का भी आधे से ज्यादा हिस्सा जल से भरा हुआ है. इस तरह से देखा जाये तो जल हमारे जीवन का बहुत ही महत्वपूर्णं हिस्सा है जिसकी कमी हमारे जीवन को खतरे में डाल सकती है. ताजे समीकरणों से पता चला है कि आने वाले समय में पानी की भारी किल्लत होने वाली है.एक तो भू जल स्तर पहले ही कम हो चुका है, ऊपर से मानसून का भी कुछ अता-पता नहीं. हाल ही में मौसम विभाग ने आशंका जतायी है कि जो मानसून १५ जून तक आना था वो अभी दूर तक आता दिखायी नहीं दे रहा है..यूपी, बिहार आदि राज्यों में भारी सूखे व अकाल का संकट नज़र आ रहा है. आँकडों से यह भी पता चल रहा है नदियों तथा बाँधों में भी जलस्तर गिर गया है.अगर देखा जाये तो यह सब हमारी ही करनी का फल है. जिस तरह तेजी से वृक्षों का कटान हुआ है उसी के चलते ग्लोबल वार्मिंग का बढ़ना, मौसम में बदलाव आदि समस्याऐं खड़ी हुई हैं और नतीजन पानी की किल्लत बढ़ी है. पानी की बचत के लिये तरह-तरह के प्रचार किये जाते हैं पर हम में से कितने ऐसे हैं जो सही मायनों में पानी की बचत करते हैं. हमें तो सिर्फ अपने से मतलब है . हमारा काम हो जाये बस, बाकी किसी को कुछ मिले ना मिले हमें इससे क्या.









