आज टेंडर खुलने वाला था। रवि बेसब्री से घोषणा का इंतज़ार कर रहा था तभी परिणाम घोषित होते हैं। रवि को पता चलता है कि टेंडर उसको न मिलकर उसके जीजा जी को मिल गया है। खैर घर की बात है सोचकर रवि खुश हुआ और जीजा जी को जी भरकर बधाई व शुभकामनाएँ दीं। घर आकर रवि टेंडर मिलने की खुशी में जीजा जी के घर शाम को होने वाली पार्टी के लिए तैयार हो रहा था कि तभी उसके मैनेजर का फोन आता है कि उसके जीजा जी की कंपनी ने भी उतनी ही कुटेशन दी थी जितनी उसने स्वयं भी भरी थी। रवि इसे एक इत्तेफाक मानकर पार्टी में पहुँचता है। लेकिन वहाँ पहुँचकर उसे अपनी बहन और जीजा जी की बातें सुनाई पड़ती हैं। जीजा जी (गले में हीरों का हार पहनाते हुए) रवि की बहन ऋचा से कह रहे थे यह सब तुम्हारी मेहनत का ही नतीजा है। अगर तुम रवि की कुटेशन हमें न बताती तो आज यह टेंडर हमारी कंपनी को न मिल पाता। ऋचा (कुटिल मुस्कान देते हुए ) अजी इस हीरों के हार का सवाल जो था। और वातावरण में हँसी के ठहाके गूँज उठे। इधर रवि अपनी बहन द्वारा किए गए इस विश्वासघात से सन्न रह गया। वह गुलदस्ते में कार्ड लगाकर जिस पर लिखा था हीरों का हार मुबारक हो बहन कमरे के बाहर ही छोड़ जाता है।
दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'
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