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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

नेता जी सुभाषचंद्र बोस

 विधा - कविता

है धन्य-धन्य भारतभूमि

यहाँ वीर सुभाष ने जन्म लिया

है कोटि नमन उस माता को

जिसने एक ऐसा लाल दिया


उठा दिए थे बचपन से ही

सुभाष ने कदम वीरता वाले

युवा क्रांतिकारी खुदीराम के लिए

साथी छात्रों से उपवास करा डाले


सुनकर भाषण गांधी जी का

विदेशी वस्त्रों का त्याग किया

बाल्यकाल में ही होकर प्रभावित

खादी और स्वदेशी अपना लिया


होकर युवा वीर सुभाष ने 

नित नए-नए आयाम गढ़े

देश की आज़ादी की खातिर

अंग्रेजों के ख़िलाफ़ हुए खड़े


केवल अपने ही दम पर 

आज़ाद हिंद फ़ौज खड़ी करी

पुरुषों के साथ ही साथ

महिलाओं की भी वाहिनी बनी


आज़ादी देने का वादा कर

जनता से खून माँगा उधार

माताओं-बहनों ने आगे बढ़कर

अपने गहने भी दे दिए उतार


देश का ऐसा प्यारा नेता

ना जाने कहाँ खो गया

जाते-जाते इस दुनिया से

यादों के बीज बो गया


स्वरचित 

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

हिंदी अध्यापिका

बंगलुरू

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