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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

नाम बड़े और दर्शन छोटे

 लघु कथा 

दिनांक - 19.11-2019

शर्मा जी अक्सर सोसायटी के लोगों को सही गलत का पाठ पढ़ाते रहते थे। कोई मौका नहीं छोड़ते थे। सभ्यता और संस्कार तो जैसे उनकी बपौती थे।  कल जैसे ही मैंने बॉलकनी से नीचे झाँका तो क्या देखती हूँ कि शर्मा जी पड़ोस के खाली प्लॉट में अपने घर का कूड़ा फेंक रहे थे। मेरा तो मुँह खुला का खुला ही रह गया। सच कहा है 'नाम बड़े और दर्शन छोटे'।


दीपाली पन्त तिवारी 'दिशा'

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