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शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

नाच न जाने आँगन टेढ़ा


दिनांक- 6-9-2020

विधा- लघुकथा

मुहावरा - नाच न जाने आँगन टेढ़ा

अर्थ- स्वयं कार्य न कर पाने पर उससे बचने के बहाने बनाना


आज अनु सुपर मॉम कॉम्पिटिशन में हिस्सा लेने आई थी। दरवाजे से ही इतनी लंबी लाइन देखकर उसके तो हाथ पाँव फूल गए। अब उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। पूरे मोहल्ले में वह ढिंढोरा पीटकर आई थी कि यह कॉम्पटीशन तो वो ही जीतेगी। उसने अचानक से तबियत खऱाब होने का नाटक शुरू कर दिया। साथ में आया पति बुरी तरह घबरा गया और उसे तुरंत ही घर लौटा लाया। रास्ते भर अनु यही सोचती रही कि अब वह लोगों से क्या कहेगी। जैसे ही मौहल्ले के लोग पूछताछ करने पहुँचे तो अनु ने कॉम्पटीशन ऑर्गनाइजर पर  ही आरोप लगाने शुरू कर दिए। वहाँ की अव्यवस्थाओं का हवाला देने लगी। तभी मोहल्ले की चाची बोलीं बेटा नाच न जाने आँगन टेढ़ा वाली बात मत करो। हम सबको पता है कि तुम्हारा नाच कैसा है। चाची की ये बात सुनकर सब लोग हंसने लगे और अनु बगले झाँकने लगी।


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

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