आओ मनाएँ अपनी आज़ादी का जश्न
लेकिन पहले पूछो खुद से यह प्रश्न
क्या हम आज़ाद हैं?
अगर हैं , तो किससे हैं?
अगर नहीं, तो क्यूँ नहीं हैं?
तभी होगी सच की समझ
नज़र आएगा अग्निपथ
जान पाएँगे कि दिल्ली अभी दूर है
आज भी आज़ादी बहुत मज़बूर है
पहले अंग्रेजों के हाथ बँधी थी
आज भ्रष्ट तंत्र के पास दबी है
तब भी टुकड़ों में बँटी थी
आज भी टुकड़ों में बँटी है
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