शुक्रवार, 24 अगस्त 2012

आज़ादी

आओ मनाएँ अपनी आज़ादी का जश्न

लेकिन पहले पूछो खुद से यह प्रश्न

क्या हम आज़ाद हैं?

अगर हैं , तो किससे हैं?

अगर नहीं, तो क्यूँ नहीं हैं?

तभी होगी सच की समझ

नज़र आएगा अग्निपथ

जान पाएँगे कि दिल्ली अभी दूर है

आज भी आज़ादी बहुत मज़बूर है

पहले अंग्रेजों के हाथ बँधी थी

आज भ्रष्ट तंत्र के पास दबी है

तब भी टुकड़ों में बँटी थी

आज भी टुकड़ों में बँटी है

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