सिमटा है जिसके आँचल में सारा संसार
दिल में है जिसके सिर्फ़ प्यार
और कौन हो सकती है वो
माँ ही तो है तडपती है जो
ख़ुद दुख सहती है
फिर भी हमें जिंदगी देती है
कितनी प्यारी कितनी भोली
प्यार और ममत्व से भर दे सबकी झोली
त्याग की ये मूर्ति
अमित है इसकी छवि
तुलना है बेकार
अनगिनत हैं माँ के उपकार
Click here for Myspace Layouts
ब्लॉग भविष्यफल
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें