बदलाव की बयार भली लग रही है
जो न थे तैयार उन्हें खल रही है
अक्सर भूल जाते हैं पायदानों पर चढ़ने वाले
तरक्की की पहली सीढ़ी नीचे से ही चढ़ी है
बोए थे जो बीज कभी एक उम्र पहले
उसकी फसल आज पक कर खड़ी है
हो रहे हैं पस्त अब हौंसले दुश्मनों के
उम्मीद की किरण ए दिशा दिख रही है
जो न थे तैयार उन्हें खल रही है
अक्सर भूल जाते हैं पायदानों पर चढ़ने वाले
तरक्की की पहली सीढ़ी नीचे से ही चढ़ी है
बोए थे जो बीज कभी एक उम्र पहले
उसकी फसल आज पक कर खड़ी है
हो रहे हैं पस्त अब हौंसले दुश्मनों के
उम्मीद की किरण ए दिशा दिख रही है
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