जनता का जनता के लिए
जनता के द्वारा
कहते हैं कि इसी भाव में निहित है
गणतंत्र हमारा
निर्माताओं ने तो बहुत सोच विचार कर
एक तंत्र बनाया
लेकिन भस्मासुरों के हाथ में
वरदान थमाया
जब चाहे तोड़-मरोड़कर
इस्तेमाल कर लेते हैं तंत्र
विरोध होने पर पकड़ा देते हैं
लोगों को यह मंत्र
जनता का जनता के लिए
और जनता के द्वारा
हम तो सेवक हैं आपके
पर तंत्र है तुम्हारा
ब्लॉग भविष्यफल
आज सोची हुई पोस्ट प्रकाशित नहीं होने से परेशान रहेंगे। टिप्पणियों में तनाव की स्थिति रहेगी। व्यर्थ में किसी से न उलझें।
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