पापा आज है धनतेरस
ऐसे बैठे हो क्यों नीरस
पता नहीं है क्या तुमको
बाजार जाना है हमको
दादी ने है मुझे बताया
क्यों धनतेरस मनाते हैं
आज के दिन बाजार से
हम नई-नई चीजें लाते हैं
कोइ लाता सोना-चाँदी
कोइ रसोई के बर्तन
फ्रिज-टीवी भी लाते हैं
और लाते रोली-चंदन
बोलो पापा क्या लायेंगे
कुछ सोचा है तुमने
मैने सोचा है लायेंगे
पहले दादी के चश्मे
कई दिनों से देखा मैने
असमंजस में रहती है
ठोकर खाती गिरती-पढती
इधर-उधर फिरती है
कोइ बात नहीं तुम मुझको
कुछ भी मत दिलवाना
अब छोडो़ अपनी दुविधा
पहले दादी के चश्मे लाना
दीवाली पर जब आ जायेगी
उसकी आँखों की उजियाली
तभी मनाऊँगा मैं पापा
खुश होकर यह दीवाली
वाह एक बहुत ही अच्छी कविता पढने को मिली
जवाब देंहटाएंदीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामना...
जवाब देंहटाएंaapko deepawali ki haardik shubhkaamnayen.....
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