एक दिन रिश्वत से हो गई मुलाकात
हमने कहा तुमसे करनी है कुछ बात
रिश्वत बोली जल्दी कहो टाइम नही है
लेने देने वालों की बाहर लाइन लगी है
हमने कहा आजकल बड़ी छा रही हो
हर किसी को अपने जाल में फंसा रही हो
जिधर जाओ तुम्हारी मांग है
तुझमे अटकी सबकी जान है
जरा सोचो गरीब कहाँ से लाएगा
तुम्हारे चक्कर में उसका काम रुक जायेगा
रिश्वत बोली इसके जिम्मेदार तुम जैसे लोग हैं
रिश्वत देने का जिनको रोग है
मैं तो आज हूँ कल भी रहूंगी
यहीं जियूंगी यहीं मरूंगी
ब्लॉग भविष्यफल
आज अपनी लेखन प्रतिभा प्रदर्शन का श्रेष्ठ अवसर प्राप्त हो सकता है। कार्य−निष्पादन उच्च श्रेणी का रहेगा व टिप्पणियों में प्रशंसा मिलेगी।
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very very interesting poem
जवाब देंहटाएंword varification,
जवाब देंहटाएंna rahta to achha tha !!