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रविवार, 26 जुलाई 2009

बूँद और नारी

प्रतियोगिता की 15वीं कविता की रचयिता दीपाली पन्त तिवारी "दिशा" बैंगलौर में रहती हैं। जब ये बारहवीं कक्षा में पढ़ती थीं तभी से कविता लेखन का शौक लगा। खेलकूद, संगीत, नृत्य, तथा सांस्कृतिक गतिविधियों में भाग लेने की रूचि भी छुटपन से है। शादी से पूर्व शिक्षण कार्य भी किया और इलैक्ट्रोनिक मीडिया से भी जुडी रहीं। इन्होंने "रेडियो प्रसारण तथा पत्रकारिता एवं जनसंचार" का कोर्स किया है। आकाशवाणी रामपुर में रेडियो कलाकार के रूप में कार्य किया है। कई रेडियो वार्ताओं में भाग लिया है। बरेली के चेनल वी एम दर्पण में न्यूज रिपोर्टर, न्यूज एंकर तथा एंकर के रूप में कार्य किया है। कई स्टोरीज में तथा विज्ञापनों में आवाज़ दी है। और आजकल इंटरनेट पर खूब सक्रिय हैं। आगे की पोस्ट हिन्दयुग्म पर ............
बूँद कभी माँ, बेटी ,बहिन तो कभी पत्नी बनती है

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