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मंगलवार, 28 जुलाई 2009

रहे ना रहे हम, महका करेगें

दुनिया में कुछ ही लोग ऐसे होते हैं जो अपनी अमिट छाप छोड़ जाते हैं, जिनके जाने के बाद भी उनकी मधुर स्मृतियाँ हमें प्रेरित करती हैं। सपने देखने और उन्हें पूरा करने का हौसला देती हैं. इसी श्रेणी में एक नाम और दर्ज हुआ है, वो है शास्त्रीय संगीत की मल्लिका गंगूबाई का. गीता में कहा है कि 'शरीर मरता है आत्मा नही'. गंगूबाई शास्त्रीय संगीत की आत्मा हैं. आज वो नहीं रहीं लेकिन उनकी संगीत शैली आत्मा के रुप में हमारे बीच विराजमान है. आगे की पोस्ट पढ़ें हिन्दयुग्म पर आवाज में...
लोग उन्हें 'गाने वाली' कहकर चिढ़ाते थे. धीरे-धीरे यह उनका उपनाम हो गया.

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