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मंगलवार, 19 जुलाई 2022

यादों का मौसम

इंतजार खत्म हुआ तपती धरती का

झूम के सावन आया है

खेतों में फिर झूमती-बलखाती-लहलहाती 

फ़सलों का मौसम आया है


इधर वन में नृत्य दिखाने को

कब से मयूर था बेक़रार

उधर सावन-मनभावन के आने से

कोयल कूक रही है बारंबार


छोटे बच्चे छप-छप करते और इतराते 

रिमझिम पानी की बौछारों में

बूढ़े और जवान सैर को निकले

बचपन के गलियारों में


देखो कागज़ की नाव बना लाया है

मेरा मन भी ललचाया है

तू और मिट्टी की सौंधी ख़ुशबू 

यादों का मौसम आया है









दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

बैंगलौर (कर्नाटक)

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