शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

पहला प्यार

 

दिनांक - 31-03-2020


वसंत ऋतु के उत्सव जैसा

सागर में लहरें हों ऐसा

हिमालय पर्वत सा विशाल

पावन है मेरा पहला प्यार


मंदिर में हो जैसे शंखनाद

शिखरों से बहता जल प्रपात

अमृत के जैसा निष्कलुष

अविरल जैसे गंगा की धार


नौ माह गर्भ में रहा सिंचित

ममता के आँचल में सँवरा

जिसको सबसे पहले मैंने जाना

वो माँ ही है, मेरा पहला प्यार


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'


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