शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

शहरों में पसरा है सन्नाटा

 

दिनांक - 29-03-2020


सरपट दौड़ती थी जिंदगी, थम सी गई

रफ़्ता-रफ़्ता पिघलती थी, जम सी गई

शहरों में पसरा सन्नाटा, वीरान हैं सड़कें

घर-आँगनों में रौनकें, दिखती हैं नई


क्या ख़ूब करवटें, वक़्त ने बदली हैं

हम सबकी पेशानी पर, सिलवटें दी हैं

गुज़र जाएगा ये दौर, हिम्मत तो रख

हरहाल में खुश रहने की, आदतें अच्छी  हैं


स्वरचित

दीपाली पंत तिवारी 'दिशा'

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