शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

दर्पण

दिनांक -  22.11.2019

(1)

सोने-सा खरा है दर्पण

ध्रुव तारे-सा अड़ा है दर्पण

नकाब लगा लो कितने ही

फिर भी सच से भरा है दर्पण


(2)

दिख जाए अक्स मेरा तेरी आँखों में

तो वही दर्पण है मेरा

छलक जाए दिल का पैमाना तेरे चेहरे पर 

वही दर्पण है मेरा


स्वरचित

दीपाली 'दिशा'

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