शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

बेबाक बचपन


दिनांक - 26-11-2019


मस्त, अल्हड़, बेबाक बचपन

थोड़ा सा बदमाश बचपन

तोड़कर इस जग के बंधन

उड़ने को बेताब बचपन


सीमाओं से मुक्त बचपन

ऊँची कुँलाचे भरता बचपन

सूर्य-सा नभ में चमकता

क्षितिज का आभास बचपन


इंद्रधनुष के जैसा बचपन

सतरंगी एक स्वप्न बचपन

उम्र की ढलती सांझ में

जीने की उम्मीद बचपन


स्वरचित 

दीपाली 'दिशा'

बैंगलौर

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें