शुक्रवार, 16 जुलाई 2021

देखो बचपन के सन्दूक में, कितनी यादें पड़ीं

22-11-2019


छोटे से दिल में हैं,आशाएँ बड़ी-बड़ी

दादी के चश्मे और दादा जी की छड़ी

माँ की लोरियाँ भी, पिताजी की झिड़की भी

देखो बचपन के सन्दूक में, कितनी यादें पड़ीं।


दीपाली 'दिशा'

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